Читать книгу: «मलाब्यू और शापित भेड़»

Шрифт:

Table of Contents

  Cover

  Title

  Copyright

  Contenuto

Maria Grazia Gullo - Massimo Longo

मलाब्यू और

शापित भेड़

सुरेश कांत द्वारा अनूदित

कॉपीराइट © 2019 एम. जी. गुल्लो – एम. लोंगो

आवरण-चित्र और ग्राफिक्स

मास्सिमो लोंगो द्वारा सृजित और संपादित

सर्वाधिकार सुरक्षित।

ISBN Code:

ISBN-13:

मलाब्यू और शापित भेड़


एक दिन, म्यूटिनो गाँव को समुद्र से जोड़ने वाली सड़क पर एक लंबा, नारंगी और हरे रंग का पोल्का-बिंदियों वाला लबादा पहने एक अजीब आदमी दिखाई दिया। वह एक लकड़ी की छड़ी पर झुककर चल रहा था, जो उससे लंबी थी और जिसके ऊपरी सिरे पर एक मुड़ी हुई जड़ थी। जड़ द्वारा बनाए गए भँवर के बीच में एक बड़ा लाजवर्द (नीले रंग का मूल्यवान पत्थर) था, जिसके किनारों पर रुपहले मोती जड़े थे।

वह आदमी एक छैल-छबीले नर भेड़ को ले जा रहा था। भेड़ दुलत्ती झाड़ रहा था और काट रहा था, मानो अपने मालिक के कदमों के पीछे न चलना चाहता हो। वह एक सुंदर, जवान और मजबूत जानवर था, जिसकी ऊन बर्फ जैसी सफेद थी। वह बटनों से जड़ा हुआ चमड़े का एक काला पट्टा पहने था, जैसा कि सर्कस में शेर पहनते हैं।

वह आदमी स्थानीय बाजार की तरफ जा रहा था। उसके वहाँ जाने पर कुतूहल से भरे लोग उसे अच्छी तरह से देखने के लिए उसके नजदीक आ गए और उसके साथ आए सुंदर जीव की तारीफ करने लगे।

बूढ़ा आदमी चलते-चलते बाजार के एक स्टॉल पर रुक गया और अपने सामान की प्रशंसा करने लगा :

“जो कोई इस खूबसूरत नमूने को खरीदना चाहता है, वह पास आए!”

कुतूहल से भरे लोगों की भीड़

बढ़ती जा रही थी.

“देवियो और सज्जनो, सुनो, सुनो, सुनो!”

एक आदमी को, जो कुछ ज्यादा ही करीब आ गया था, भेड़ ने काट लिया। सौभाग्य से, भेड़ के दाँतों के कटकटाने की आवाज केवल दो बार ही सुनाई दी।

“खबरदार, यह काटता है,” भेड़ के मालिक ने उसे वापस खींचते हुए कहा, “इसके पास अच्छे, मजबूत, सुंदर दाँत हैं। आओ, देवियो और सज्जनो, इसकी कीमत सिर्फ दो सौ दीनार है।

ज्यादा से ज्यादा लोग उसके इर्द-गिर्द इकट्ठे हो गए : वे सभी बिक्री में रुचि रखते थे।

भेड़ की नस्ल को देखते हुए कीमत वाकई सही थी।

कुबुद्धि नाम का एक आदमी जबरन भीड़ का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा था : वह गाँव का सबसे अमीर और सबसे दबंग आदमी था। कुबुद्धि उसका असली नाम नहीं था। बचपन से ही उसकी दुष्टता और ढिठाई की वजह से उसे इस नाम से बुलाया जाता था। वह एक लंबा-चौड़ा आदमी था, जिसका सिर छोटा, हाथ बड़े और पेट इतना फूला हुआ था कि हमेशा फटने के कगार पर रहता था। उसका पिता एक अमीर व्यापारी था, जिसने बहुत लंबी यात्राएँ की थीं, और जिसकी संपति का स्रोत रहस्यमय था, क्योंकि गाँव में कोई नहीं जानता था कि उसने इतनी संपत्ति कैसे जमा की है।

कुबुद्धि ने अपने प्रतियोगियों को घसीटना शुरू कर दिया। उनमें से बहुत-से लोग तो उस शख्स को देखते ही भाग गए। इससे वे लोग भी डर गए, जिन्होंने रुकने की हिम्मत की थी।

इस तरह सबको प्रतियोगिता से बाहर कर देने के बाद उसने खीसें निपोरते हुए उस बूढ़े आदमी से पूछा कि वह जानवर के साथ क्या कर रहा है, मानो उसे पता ही न हो कि वह उसे बेच रहा था।

“मैं इसे बेच रहा हूँ,” बूढ़े आदमी ने एक बड़ी मुसकराहट के साथ अपनी ठुड्डी अपने उस हाथ पर टिकाते हुए कहा, जिससे उसने लकड़ी की छड़ी पकड़ी हुई थी।

“क्या आप इसे खरीदना चाहेंगे?” उसने पूछा। “बेशक मैं खरीदना चाहूँगा!” कुबुद्धि ने जवाब दिया, “बशर्ते कीमत सही हो!” “कीमत तो सही से भी ज्यादा सही है। सिर्फ दो सौ दीनारों में ऐसी जवान, मजबूत और अच्छे दाँतों वाली भेड़ आपको कहीं नहीं मिलेगी। यह एक बढ़िया सौदा है।”

“नहीं, यह बहुत महँगा है, बुढ़ऊ। क्या तुम्हें नहीं दिखता कि कोई भी इसे खरीदना नहीं चाहता?” धमकी भरे अंदाज में कुबुद्धि ने कहा।

Бесплатный фрагмент закончился.

313,53 ₽

Начислим

+9

Покупайте книги и получайте бонусы в Литрес, Читай-городе и Буквоеде.

Участвовать в бонусной программе
Возрастное ограничение:
0+
Дата выхода на Литрес:
22 апреля 2021
Объем:
23 стр. 21 иллюстрация
ISBN:
9788835422174
Переводчик:
Правообладатель:
Tektime S.r.l.s.
Формат скачивания: